दुनिया भर में जुलाई ‘सरकोमा अवेयरनेस मंथ’ के रूप में मनाया जाता है और इसी सिलसिले में होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, पंजाब ने अपने न्यू चंडीगढ़ कैंपस के प्रांगन में डॉक्टरों और सरकोमा मरीज़ों के साथ एक परिचर्चा आयोजित की. इस परिचर्चा में अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ बड़ी संख्या में सरकोमा पेशेंट्स और उनके परिजनों ने हिस्सा लिया.
संस्थान के निदेशक डॉक्टर आशीष गुलिया ने मरीज़ों को इस परिचर्चा के मक़सद के बारे में समझाते हुए बताया कि हम ये मुलाकात जुलाई के महीने में रख रहे हैं. ये महीना इसलिए ख़ास है कि जुलाई के महीने में हम ये सुनिश्चित करते हैं कि हम आम लोगों को सरकोमा के बारे में जागरूक कर सकें.
मरीज़ों और सरकोमा के लक्षणों पर रोशनी डालते हुए डॉक्टर आशीष गुलिया ने कहा, “ये वो कैंसर है जो किसी की मांसपेशी या हड्डियों में हो सकता है. सरकोमा का इलाज कैंसर के स्टेज पर निर्भर करता है. कोई भी गांठ चाहे वो मांसपेशी में हो या हड्डी में, अगर वो लगातार बढ़ने लगे तो वो ट्यूमर हो सकता है. सरकोमा में आम तौर पर दर्द नहीं होता है लेकिन अगर ये ट्यूमर दर्द दे रहा हो तो उसका संबंध हड्डी से होने की अधिक संभावना रहती है.”
डॉक्टर आशीष गुलिया ने सरकोमा के मरीज़ों को समझाते हुए कहा कि इससे घबराने की ज़रूरत नहीं है, इन ट्यूमर्स का इलाज संभव है. उन्होंने सरकोमा मीट में शामिल होने वाले मरीज़ों और उनके परिजनों से कहा कि इसके लक्षण दिखने पर हमें फौरन सही डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
पेशेंट डॉक्टर मीट के दौरान उन्होंने अस्पताल आने वाले मरीज़ों को मिलने वाली सुविधाओं और ज़रूरतमंद मरीज़ों को दी जाने वाली आर्थिक मदद का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मरीज़ों और उनके केयरगिवर्स का एक दूसरे के संपर्क में रहने की भी अपनी अहमियत है. इससे वे एक दूसरे को संबल दे सकते हैं. एक दूसरे की हिम्मत बढ़ा सकते हैं. ऐसी परिचर्चा हमें एक दूसरे से जुड़ने का भी अवसर देती हैं.
उन्होंने कहा कि होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल इस बात की पूरी कोशिश करता है कि जो भी व्यक्ति हमारे अस्पताल में हमारी मदद के लिए आता है, उसका हम पूरी कोशिश करके इलाज करते हैं लेकिन हरेक पेशेंट को बचाना हमारे हाथ में नहीं है. लेकिन एक चीज़ हमारे हाथ में ज़रूर है इस दुनिया में कैंसर को जो भी मुमकिन इलाज है, वो हम अपने मरीज़ों को मुहैया कराने की कोशिश करते हैं.
वरिष्ठ डॉक्टरों की एक टीम जिनमें डॉक्टर सीमा गुलिया, डॉक्टर निखिल टंडन, डॉक्टर प्रभात गंजू, डॉक्टर साहिल सूद, डॉक्टर निधि धारीवाल शामिल थीं, ने इस परिचर्चा के दौरान मरीज़ों और उनके परिजनों की स्वास्थ्य संबंधी जिज्ञासाओं ख़ासकर हड्डी के कैंसर से जुड़े सवालों के जवाब दिए. डॉक्टर सीमा गुलिया और डॉक्टर निखिल टंडन ने मरीज़ों को ये समझाया कि हड्डी के कैंसर के ट्रीटमेंट में सर्जरी के अलावा अन्य थेरेपीज़ की मदद की ज़रूरत पड़ सकती है. आपको ये जानना चाहिए कि हड्डी के कैंसर अलग-अलग किस्म के होते हैं और अलग-अलग तरीके के कैंसर के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी या इनके कुछ कॉम्बिनेशंस को यूज करना रहता है.
डॉक्टर प्रभात गंजू और डॉक्टर साहिल सूद ने इस परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मरीज़ों और उनके परिजनों को ये समझना ज़रूरी है कि सिर्फ़ सर्जरी के बाद ट्रीटमेंट बंद न करें, डॉक्टर्स जो आपको पूरा ट्रीटमेंट बताएं, चाहे वो रेडियोथेरेपी हो या फिर एडिश्नल कीमोथेरेपी, मरीज़ उसको ज़रूर लें और साथ ही ये सुनिश्चित भी करें कि ट्रीटमेंट पूरा हो, तभी बहुत सारी ज़िंदगियां बचाई जा सकती हैं.
होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र में कार्यशाला का सफल आयोजन
शुक्रवार को होमी भाभा कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र ने इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थिसियोलॉजी (ISA) वर्ल्ड SIVA कांग्रेस के हिस्से के रूप में “टोटल इंट्रावेनस एनेस्थीसिया (TIVA) इन डिफिकल्ट एयरवे – अ प्रैक्टिकल अप्रोच” विषय पर एक कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। डॉ. ललिता गौरी मित्रा और डॉ. हरसिमरन वालिया ने इस कार्यशाला के पाठ्यक्रम निदेशक और समन्वयक की भूमिका निभाई. भारत भर से आए प्रतिनिधियों को विभिन्न TIVA तकनीकों और चुनौतीपूर्ण वायुमार्ग परिदृश्यों (challenging airway scenarios) से संबंधित व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्रों में भाग लेने का अवसर मिला।
अस्पताल के निदेशक, डॉ. आशीष गुलिया ने एनेस्थीसिया पद्धतियों को बढ़ाने और रोगी सुरक्षा में सुधार के लिए ऐसी कार्यशालाओं के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा पेशेवरों के लिए क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के अनुकूल होने के लिए निरंतर शिक्षा और व्यावहारिक प्रशिक्षण महत्वपूर्ण हैं।
पंजाब एवं आस-पास के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नागरिकों को विश्वस्तरीय कैंसर देखभाल प्रदान करने के उद्देश्य से, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2022 में साहिबजादा अजीत सिंह नगर ज़िले के न्यू चंडीगढ़ में ‘होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र’ को राष्ट्र को समर्पित किया था। यह अस्पताल टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा ₹660 करोड़ से अधिक की लागत से निर्मित किया गया, जो भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत एक सहायता प्राप्त संस्थान है।
कैंसर अस्पताल 300 बिस्तरों की क्षमता वाला एक टेरटियरी केयर हॉस्पिटल है। यह सर्जरी, रेडियोथेरेपी और मेडिकल ऑन्कोलॉजी – कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसे हर उपलब्ध उपचार पद्धति का उपयोग करके सभी प्रकार के कैंसर का इलाज करने के लिए आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। यह अस्पताल क्षेत्र में कैंसर देखभाल और उपचार के ‘हब’ के रूप में कार्य करता है, जिसमें संगरूर में 125 बिस्तरों वाला अस्पताल इसके ‘स्पोक’ के रूप में कार्य करता है।