यूक्रेन से घर पहुंचने पर खुश हैं गांव दुमणां की सिमरन कौर के माता-पिता, धन्यवाद किया केंद्र सरकार का
मोरिंडा 07 मार्च (भटोआ)
यूक्रेन में फंसी दुमणां गांव की सिमरन कौर बीती शाम घर लौट आई। जिससे पिछले कई दिनों से चिंतत सिमरन के माता-पिता ने राहत की सांस ली है.
इस अवसर पर सिमरन ने संवाददाताओं से कहा कि वह खिरकीव में एमबीबीएस के पांचवें सेमेस्टर की पढ़ाई कर रही थी। सिमरन ने कहा कि भारतीय दूतावास ने एक एडवाइजरी जारी कर उन्हें हंगरी या पोलैंड सीमा से गुजरने या मेट्रो स्टेशनों / बंकरों में छिपे रहने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में करीब 26,000 मेडिकल छात्र हैं। इन सभी छात्रों को बहुत कठिन परिस्थितियों में अपने दिन बिताने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन छात्रावास में रहने वाले छात्रों ने एक-दूसरे की बहुत मदद की। सिमरन ने कहा कि उसे खाने-पीने में दिक्कत हो रही थी और वह बर्फ को गर्म करके पानी पीती रही। सिमरन ने कहा कि उन्हें सीमा तक पहुंचने के लिए करीब 1500 किमी की दूरी तय करनी पड़ी। सिमरन ने कहा कि यूक्रेन में लगातार हो रही बमबारी के कारण नागरिक हवाई हमलों से अपनी जान बचाने के लिए बंकरों या बेसमेंट में छिपे हुए थे और हर तरफ डर का माहौल था। उन्होंने ट्रेन में चढ़ने का फैसला किया और सबसे पहले ट्रेन से पोलैंड सीमा पर पहुंचे। सिमरन ने कहा कि यहीं से दूतावास के अधिकारियों की ड्यूटी शुरू हुई जो उन्हें एयरपोर्ट ले गए और वह और उनके साथी पोलैंड से दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे. वहां से वे बस से मोरिंडा होते हुए अपने गांव दुमणां आए।
अपनी बेटी सिमरन की वापसी पर मां सुखविंदर कौर और पिता गुरसेवक सिंह ने भगवान का शुक्रिया अदा किया और केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया और कहा कि बाकी छात्रों को जल्द से जल्द भारत वापस लाया जाए. माता-पिता ने मांग की कि भारत सरकार युक्रेन से आने वाले सभी छात्रों की डिग्री पूरी करवायें । इस मौके पर अभिभावकों ने ग्रामीणों को लड्डू भी बांटे।