नई दिल्ली, 24 मार्च
शिक्षा मंत्रालय छात्रों के सीखने की स्थिति पर एक खास स्टडी कर रहा है। यह स्टडी एनसीईआरटी की मदद से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में की जाएगी। इसका उद्देश्य 22 भारतीय भाषाओं में छात्रों की समझ के साथ पढ़ने से संबंधित मानक स्थापित करना है। इस अध्ययन में कक्षा 3 तक के लगभग 10 हजार स्कूलों के 1 लाख छात्रों के भाग लेने की उम्मीद है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह अध्ययन दुनिया में अपनी तरह का पहला अध्ययन है।
शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि कक्षा-3 के अंत होने पर छात्रों के सीखने की स्थिति के बारे में सीधी जानकारी हासिल करने के लिए यह आधारभूत शिक्षण अध्ययन (फाउंडेशनल लनिर्ंग स्टडी) कराया जा रहा है।
एनसीईआरटी द्वारा सभी राज्यों और केन्द्र- शासित प्रदेशों में 26 मार्च तक सैंपल के आधार पर स्कूलों में यह फाउंडेशनल लनिर्ंग स्टडी कराई जाएगी।
आधारभूत शिक्षण अध्ययन के विशिष्ट उद्देश्य इस प्रकार हैं
- निपुण भारत मिशन के लिए एक आधार तैयार करने के लिए कक्षा-3 के छात्रों की बुनियादी शिक्षा का व्यापक पैमाने पर मूल्यांकन करना
- इस अध्ययन के तहत मूल्यांकन की जा रही प्रत्येक भाषा के लिए समझ के साथ धाराप्रवाह पठन में प्रवीणता संबंधी मानक स्थापित करना
- सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)4.1.1 के लिए डेटा प्रदान करना (बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता के पहलुओं को शामिल करते हुए)
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस बात पर प्रकाश डालती है कि पढ़ने और लिखने की क्षमता सीखने का एक आवश्यक आधार है। साथ ही संख्याओं का बुनियादी उपयोग करने की क्षमता भी सीखने की एक अनिवार्य शर्त है। बाद के वर्षों में विद्यार्थियों के सीखने से जुड़े अनुभवों को और अधिक सार्थक बनाने तथा उन्हें ज्ञान को आत्मसात करने की क्षमता प्रदान करने के लिए आधारभूत वर्षों में उनके सीखने संबंधी उपलब्धि पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है।(आईएएनएस)|